आपके इब्तेदाई हालात :- शाहे विलायत हज़रत सय्यदना ख्वाजा हाजी मोहम्मद नजमुद्दीन सुलेमानी चिश्ती फ़ारूक़ी अल मारूफ नजम सरकार रहमतुल्लाह अलैह सरज़मीने हिंदुस्तान में सिलसिलाए विलायत सुल्तानुल हिन्द ख्वाजए ख्वाजगां हज़रत सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज़ रदियल्लाहु अन्हु से शुरू हुआ ये ऐजाज़ हिंदुस्तान में राजपुताना (राजस्थान) को हासिल हुआ के ये सरज़मीं इस्लाम की तब्लीग का मरकज़ बन गई इस ज़मीन पर अकाबिर औलि आअल्लाह का फैज़ हमेशा से जारी रहा और तब्लिगे दीन के साथ ख़ल्क़े खुदा की फलाह का दरिया भी जारी हुआ सुल्तानुत तारीक़ीन हज़रत सय्यदना ख्वाजा सूफी हमीदुद्दीन नागोरी रदियल्लाहु अन्हु का नाम भी इस सिलसिले में मुमताज़ हैसियत रखता हे 13 वी सदी आते आते राजपुताना (राजस्थान) में जब तब्लिगे इस्लाम कुछ कमज़ोर दिखने लगी देहली में मरकज़ी मुगलिया सल्तनत अपने आखरी पड़ाव पर थीअँगरेज़ हुक्मरा इस्लाम को कमज़ोर करने की पुरजोश कोशिशों में लगे थे और फ़ितनऐ वहबिया अपना सर उठाने लगी थी उस वक़्त राजपुताना के एक क़स्बे फतेहपुर शेखावती में एक ऐसा आफ़ताबे विलायत चमका जिसने न सिर्फ अपनी चमक से कुफ्रो शिर्क को तोडा बल्कि इस्लामी समाज में फैली बुराइयों और बिदअतों की इस्लाह भी की और सिलसिलाए चिश्तिया बहिश्तीया को फिर से अपने कशफो कमालात से जवान कर दिया ये शख्सियत और कोई नहीं बल्कि खुद हज़रत सय्यदना ख्वाजा हाजी नजमुद्दीन सुलेमानी चिश्ती फ़ारूक़ी रहमतुल्लाह अलैह की है | हज़रत ख्वाजा नजमुद्दीन चिश्ती अलयहिर्रेह्मा की जाते बा बाबरकत किसी तआरुफ़ की मोहताज नहीं आप सरज़मीने राजस्थान में सिलसिलाए आलिया चिश्तिया के अहम् सुतून (पिलर) हे आपका मुबारक नाम मोहम्मद नजमुद्दीन और आपका लक़ब परवाना हे आप हुज़ूर नजम सरकार और परवाना के नाम से मशहूर हे आप गौसे जमा पीर पठान हज़रत ख्वाजा हाफिज शाह मोहम्मद सुलेमान तूंसवी चिश्ती रदियल्लाहु अन्हु (तूंसाशरीफ,पाकिस्तान) के खलीफा हैं खुद हज़रते सानी हज़रत ख्वाजा अल्लाह बख्श तूंसवी सज्जादानशीन खानकाहे सुलेमानिया इरशाद फरमाते हैं के जिसे तूंसा शरीफ (पाकिस्तान) हाज़री देनी हो वो फतेहपुर (हुज़ूर नजम सरकार के मज़ार पर) हाज़िर हो जाए इंशा अल्लाह हाज़रीए तूंसा क़ुबूल होगी |
(माहे तैबा का औलियाए राजस्थान नंबर)

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आपकी विलादते बा सआदत :- हज़रत सय्यदना ख्वाजा नजमुद्दीन सुलेमानी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह झुंझनू (राजस्थान) शहर में 3 रमज़ानुल मुबारक 1234 हिजरी बरोज़ जुमा सुबह सादिक़ के वक़्त हज़रत शैख़ अहमद बख्श नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के घर पैदा हुए आपकी वालिदा का नाम सरदार बीबी था हज़रत शैख़ अहमद बख्श नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह खुद वालिये कामिल और तसव्वुफ़ के जलीलुल क़द्र आलिम थे आपका ये वस्फ़ था के आपको आपके फ़रज़न्दान (लड़को) की सूरत उनकी पैदाइश से पहले दिखाई जाती और उनके नाम व खूबियों के बारे में आगाह कर दिया जाता हज़रत ख्वाजा नजमुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की पैदाइश से पहले भी बारगाहे खुदावन्दी से ये बशारत हुई थी के तुम्हारे घर एक बच्चा नजमुद्दीन पैदा होगा जो के वली और अपने वक़्त का गौस व क़ुतुब होगा और आपका चेहराए मुबारक भी दिखलाया गया हज़रत शैख़ अहमद बख्श रहमतुल्लाह अलैह का सिलसिलाए नसब सुल्तानुत तारीक़ीन हज़रत सय्यदना ख्वाजा सूफी हमीदुद्दीन नागोरी रदियल्लाहु अन्हु के वास्ते से होते हुए अमीरुल मोनिनिन हज़रत सय्यदना उम्र फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु से 35 वास्तो से जा मिलता हैं |
(माहे तैबा का औलियाए राजस्थान नंबर)

बचपन और तरबियत :- हज़रत सय्यदना ख्वाजा नजमुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की उम्र शरीफ जब 8 साल की हुई तो आपके बिरादरे अकबर हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन क़ादरी फ़ारूक़ी रहमतुल्लाह अलैह ने आपकी रस्मे बिस्मिल्लाह ख्वानी कराई उस ज़माने में मशहूर बुज़ुर्ग सय्यदुल औलिया हज़रत मौलाना मोहम्मद रमज़ान शाहिद मुहिमी अलयहिर्रेह्मा ने आपको तालीमे क़ुरआन देना शुरू किया मौलाना साहब चूंकि खुद क़ुत्बे वक़्त थे आपने अपनी बसीरत अफ़रोज़ निगाहो से हुज़ूर नजम सरकार के मुस्तक़बिल पर नज़र डाली और आपके बिरादरे अकबर हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन क़ादरी को आगाह किया के में इस बच्चे का मुस्तक़बिल जितना रोशन देखता हु इस दौर में किसी और का नहीं है|

बैअत व खिलाफत :- 1253 हिजरी में हज़रत क़मरुद्दीन नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह के साथ आप अपने घर पर बताए बगैर हज़रत सय्यदना ख्वाजा गरीब नवाज़ रदियल्लाहु अन्हु के उर्स मुबारक के लिए अजमेर शरीफ रवाना हुए आप सरकार गरीब नवाज़ रदियल्लाहु अन्हु के मज़ारे अक़दस पर 1 रजब 1253 हिजरी को हाज़िर हुए और बारगाहे ख्वाजा गरीब नवाज़ में अर्ज़ किया हुज़ूर जैसा पिरो मुर्शिद चाहता हूँ अता फरमाए और इस तलाश में मेरी रहनुमाई फरमाए उसी रोज़ आलमे रूया में सरकार गरीब नवाज़ रदियल्लाहु अन्हु की ज़ियारत से मुशर्रफ हुए और हुक्म मिला के मिया नजमुद्दीन तुम अपने दादा सूफी हमीदुद्दीन नागोरी के पास चले जाओ हमने तुम्हारा मामला उन्ही के सुपुर्द किया हे आप फ़ौरन नागौर शरीफ के लिए रवाना हुए और अपने जद्दे अमजद की बारगाह में मअरूज़ा पेश करो उसी रात आलमे ख्वाब में क्या देखते हैं के एक महफ़िल फुकरा व औलिआ की सजी है और एक बुज़ुर्ग बड़ी शान से मसनद नशीन हैं आपने किसी से पूछा के ये बुज़ुर्ग कौन हैं? तो जवाब मिला के ये सुल्तानुत तारीक़ीन हज़रत ख्वाजा सूफी हमीदुद्दीन नागोरी रदियल्लाहु अन्हु हैं तब उन बुज़ुर्ग ने आप पर नज़र की और आपको अपने क़रीब बुलाया और आने का सबब पूछा आपने अपना मक़सद ज़ाहिर किया बारगाहे सूफी से जवाब मिला के मेरे बेटे जिस मेयार और किरदार का पीर तुम चाहते हो वो इस दौर में मादूम हे लेकिन एक शहबाज़े तरीक़त संघड़ नदी के किनारे तूंसा में जलवा अफ़रोज़ हे तुम उनके पास चले जाओ में उनसे तुम्हारी सिफारिश कर दूंगा ये बशारत पाते ही आप फ़ौरन नागौर शरीफ से तूंसा शरीफ के लिए रवाना हुए आप बीकानेर से मुल्तान होते हुए तूंसा शरीफ 10 शाबान 1253 हिजरी को चाशत के वक़्त पहुंचे नमाज़े चाशत से फारिग होने के बाद एक मौलवी अली मोहम्मद जो के उस वक़्त उसी मस्जिद में मशगूल इबादत थे हुज़ूर ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु के मुतअल्लिक़ सवाल किया के हज़रत कहा मिलेंगे? उन्होंने बताया के हज़रत इस वक़्त अपने घर पर मशगूल मुराक़ेबा हैं अगर तालिबे ज़ियारत हो तो ज़वाल के वक़्त आम कचेहरी में हाज़िर हो जाना मगर हज़रत नजमुद्दीन चिश्ती अलयहिर्रेह्मा बेकरारी और ज़ौक़ की वजह से फ़ौरन ही घर पर पहुंचे और आपके हुजरे के बाहर बैठ कर आपके हुक्म का इंतज़ार करने लगे थोड़ी देर के बाद हज़रत ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु ने अपने खादिम को हुज़ूर नजम सरकार को अंदर आने का हुक्म दिया लेकिन वहाँ कई नजमुद्दीन थे जो पहले से तालिबे दीदार थे वो सब खड़े हो गए तब खादिम ने अंदर जा कर अर्ज़ किया के बाहर तो कई नजमुद्दीन हैं कौनसे नजमुद्दीन को तालाब फ़रमाया जा रहा हैं? तो आपने हुक्म दिया के नजमुद्दीन नागौरी को लाओ हुज़ूर नजम सरकार हज़रत ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुए और दो जानू अदब से बैठ गए काफी देर के बाद हुज़ूर पीर पठान ने मुराक़बे से आँख खोल कर हुज़ूर नजम सरकार की जानिब तवज्जोह दी और फ़रमाया के ऐ मर्दे हिंदी तू वो हैं जो किसी का भेजा हुआ हैं और आने का मक़सद पूछा हुज़ूर नजम सरकार ने अर्ज़ किया के न तलबे दुनिया दारम,न तलबे उक़्बा दारम तालिबे खुदा हस्तम, खुदरा मि ख़्वाहम (न दुनिया की तालाब है न उक़्बा की तलब है, तालिबे खुदा हूँ खुदा ही को चाहता हूँ)*हज़रत ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु ये सुन कर बहोत खुश हुए और आपकी पुश्त पर हाथ मारा और फ़रमाया आफरीन सद आफरीन तू वाक़ई मर्द है जब हज़ूर नजम सरकार को गश आया तो हज़रत ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया नजमुद्दीन होश में आओ तुम्हारी हस्ती से सेंकडो वली बनने हैं |

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अब आपको बैअत व खिलाफत अता फ़रमाई :- उसी रोज़ यानि 10 शाबान 1253 हिजरी को बाद नमाज़े ईशा आपने हुज़ूर नजम सरकार को सिलसिलाए आलिया चिश्तिया निज़ामिया फ़ख़्रिया में बैत फ़रमाया और विरदो वजाइफ अता किए और वहीं क़याम करने का हुक्म दिया तूंसा शरीफ में मुसलसल 6 महीने क़याम करने के बाद 6 मुहर्रम 1254 हिजरी को हज़रत सय्यदना बाबा फरीदुद्दीन गंज शकर चिश्ती रदियल्लाहु अन्हु के उर्स मुबारक के मौके पर पाक पट्टन शरीफ में आपके मज़ारे अक़दस पर हज़रत ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु ने हुज़ूर नजम सरकार को खिरकाए खिलाफत अता फ़रमाया और सिलसिलाए आलिया चिश्तिया क़ादरिया नक्शबंदिया और सोहरवर्दिया की इजाज़त अता फ़रमाई आपने हुज़ूर नजम सरकार को इलाक़ाए राजपुताना मारवाड़ की विलायत व क़ुतबियत अता फरमा कर फतेहपुर शेखावती में क़याम का हुक्म दिया आप अपने पिरो मुर्शिद से बेइंतेहा मोहब्बत किया करते थे इसी मोहब्बत की वजह से पको आपके पीर मुर्शिद ने “परवाना” के लक़ब से सरफ़राज़ किया और फ़रमाया के नजमुद्दीन मेरा परवाना है इसी सबब से आप परवाना के नाम से मशहूर हुए | (माहे तैबा का औलियाए राजस्थान नंबर)

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फतेहपुर शेखावती में क़याम”:- हुज़ूर नजम सरकार अलैहिर्रहमा 1254 हिजरी में फतेहपुर शेखावती पहुंचे और मस्जिद क़ौम मेमारान में क़याम किया लेकिन कुछ अरसे बाद ही इबादतों रियाज़त में खलल होने की वजह से फतेहपुर के जुनूब की जानिब बीहड़ में सुकूनत इख़्तियार की और यहीं ख़ानक़ाह क़ायम की और रुश्दो हिदायत की शमा रोशन की आपका ये मामूल था के आप साल में 6 महीने हिंदुस्तान में क़याम फरमाते और तबलीगो दीन व इशाअत में मसरूफ रहते और 6 महीने अपने पिरो मुर्शिद हज़रत सय्यदना ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में तूंसा शरीफ रहते ये सिलसिला 1267 हिजरी तक जारी रहा और 7 सफर 1267 हिजरी को हज़रत ख्वाजा सुलेमान तूंसवी रदियल्लाहु अन्हु के विसाल शरीफ के वक़्त भी आप अपने मुर्शिद की बारगाह में हाज़िर थे और तमाम खास राज़ो नियाज़ से फ़ैज़याब हुए आपने 1256 हिजरी में अपने मुर्शिद की इजाज़त से हज अदा किया और इसी निस्बत से हाजी नजमुद्दीन के नाम से मशहूर हुए

आपका उर्स मुबारक :- शाहे वलायत हज़रत सय्यदना ख्वाजा हाजी मोहम्मद नजमुद्दीन सुलेमानी चिश्ती फ़ारूक़ी अल मारूफ नजम सरकार रहमतुल्लाह अलैह (उर्स:13,शव्वालुल मुकर्रम, मज़ार: फतेहपुर शेखावती, सिकर, राजस्थान में है)

                     (माहे तैबा का औलियाए राजस्थान नंबर) 

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