सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की वालिदा माजिदा का नाम क्या है ?
जवाब :- आपकी वालिदा माजिदा का नाम राहील है |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के नाना का नाम क्या है ?
जवाब :- आपके नाना जान का नाम लियानया लायान है जो आपके वालिद मुहतरम के मामू भी थे|

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की विलादत के वक़्त आपके वालिद याक़ूब अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी थी ?
जवाब :- उस वक़्त हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की उम्र चालीस साल की थी |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के भाइयों के नाम क्या हैं ?
जवाब :- इसकी तफ्सील याक़ूब अलैहिस्सलाम के बेटों के बयान में देखिये |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के सगे भाई का नाम क्या है और वो आप से कितने छोटे थे?
जवाब :- बिन्यामीन जो आप से दो साल छोटा था |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की उम्र उस वक़त कितनी थी जब आपने ग्यारह सितारे और चाँद व सूरज का ख्वाब देखा था ?
जवाब :- उस वक़्त आपकी उम्र शरीफ बारह साल की थी | सात व सत्तरह के क़ौल भी आये हैं |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने ग्यारह सितारे और चाँद व सूरज का ख़्वाब किस शब् को देखा था ?
जवाब :- यह ख़्वाब शबे क़द्र को देखा था जो शबे जुमा भी थी |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने जिन ग्यारह सितारों को खाव्ब में देखा उनके नाम क्या हैं ?
जवाब :- बस्ताना नमी एक यहूदी जो अपने मज़हब का एक ज़बरदस्त आमिल था उसने ख्वाजा काइनात रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से उन ग्यारह सितारों के नाम पूछे |आपने फ़रमाया अगर में तुझे उनके नाम बतला दूँ तो इस्लाम में दाखिल हो जाएगा उसने इक़रार किया तो आपने फ़रमाया सुनो उन सितारों के नाम ये हैं:

  1. जिरयान
  2. तारिक़
  3. ज़ियाल
  4. ज़ुल कतफैन
  5. काबिस
  6. साकिब
  7. अमदून
  8. फलीक
  9. मिस्बाह
  10. सरूह
  11. फरआ | (इब्ने कसीर)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने जो ख़्वाब देखा था उसकी ताबीर कितने दिनों बाद ज़ाहिर हुई ?
जवाब :- इस ख़्वाब की ताबीर देखने के चालीस साल बाद ज़ाहिर हुई बाज़ कहते हैं कि अस्सी साल के बाद ज़ाहिर हुई |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को कुएँ में डालने का मशवरा किसने दिया था ?
जवाब :- ये मशवरा यहूदा या रोबील ने दिया था बाज़ कहते हैं कि मुशीर शमऊन था | (इब्ने कसीर)

वाक़्या
जब भाइयों को अपने वालिद माजिद का युसूफ अलैहिस्सलाम से ज़्यादा मुहब्बत फरमाना शाक़ गुज़रा तो आपस में मशवरा किया कि कोई ऐसी तदबीर सोचनी चाहिए जिससे हमारे वालिद मुहतरम को हमारी तरफ ज़्यादा तवज्जुह हो | बाज़ मुफ़स्सिरीन ने कहा कि इस मजिसल शूरा में शैतान भी शरीक हुआ और उसने युसूफ अलैहिस्सलाम के क़त्ल कि राय दी | बाज़ ने युसूफ अलैहिस्सलाम को आबादियों से दूर फेंक देने का मशवरा दिया इस भाई ने कहा क़त्ल मत करो क्योंकि ये बड़ा गुनाह है बल्कि युसूफ को किसी कुएँ में डाल दो ताकि कोई मुसाफिर वहाँ से गुज़रे और किसी मुल्क में उन्हें ले जाएँ | (ख़ज़ाईनल इरफ़ान)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम जिस कुँएं में डाले गए थे वो कुँआ कहाँ था ?
जवाब :- ये कुँआ किनआन से तीन मील के फासले पर हवाली बैतुल् मुक़द्दस या सरज़मीन उर्दन में वाक़े था |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम जिस कुँए में डाले गए थे वो कुँआ किसने खुदवाया था और कब ?
जवाब :- ये कुँआ शद्दाद ने उस वक़्त खुदवाया था जब वो उर्दन के शहरों को आबाद कर रहा था |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम जिस कुएँ में डाले गए थे वो कुँआ कितना गहरा था ?
जवाब :- कश्फी ने कहा है कि यह कुँआ सत्तर गज़ या उससे ज़्यादा गहरा था ऊपर से उसका मुँह तंग और था और अंदर से फराख (चौड़ा) | (हाशिया जलालेंन)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की उम्र उस वक़्त कितनी थी जब आप कुँए में डाले गए थे ?
जवाब :- उस वक़्त आपकी उम्र शरीफ 12 साल की थी |बा क़ौल दीगर सत्तरह साल थी |बाज़ ने अठ्ठारह साल भी कहा है |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम कुएँ में कितनी मुद्दत रहे ?
जवाब :- आप तीन रोज़ उस कुँए में रहे |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम जब “बरहना” कुँए में डाले गए तो उस वक़्त आपको किसने और क्या पहनाया था ?
जवाब :- जब आपके भाइयों ने आपके हाथ पाऊँ बाँध कर कमीज उतार कर कुँयें में छोड़ा तो फौरन जिब्राइल अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से हाज़िर हुए | उन्होंने आपको एक पत्थर पर बिठा दिया जो कुँए में था और आपके हाथ पैर खोल दिए और आपके गले में तावीज़ कि शक्ल में बंधा हुआ इब्राहीमी कमीज खोलकर पहना दिया |ये वो जन्नती क़मीज़ है | जिसको हज़रत जिब्राइल जन्नत से उस वक़्त लाये थे जब नारे नमरूदी से हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को “बरहना” डाला गया था | ये क़मीज़ पुश्त दर पुश्त याक़ूब अलैहिस्सलाम तक पहुंचा और आपने रुखसत के वक़्त हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के गले में तावीज़ बनाकर डाला था |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम कुँए में क्या खाते थे और ये खाना कौन और कहाँ से लाते थे ?
जवाब :- इस दौरान अल्लाह के हुक्म से हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम जन्नती खाना पानी पेश करते थे |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के कुँए में डोल डालने वाले का नाम क्या था और वो कहाँ का रहने वाला था ?
जवाब :- डोल डालने वाले का नाम मालिक बिन जअर ख़ज़ाई था ये शख्स मदयन का रहने वाला था | (ख़ज़ाईनल इरफ़ान)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को आपके भाइयों ने काफिले वालों के हाथ कितनी क़ीमत में बेचा था ?
जवाब :- हज़रत क़तादा रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि भाइयों ने आपको बीस दिरहम में बेचा था |
बाईस और चालीस के भी क़ौल वारिद हैं
एक क़ौल में सत्तरह कि भी तादाद है |

बिकने का वाक़्या ये है कि जब हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को आपके भाइयों ने कुँए में डाल दिया तो उसके बाद वो उसी जंगल में कि जिसमे वो कुँआ था अपनी बकरियां चराते थे और देख भाल रखते थे | एक दिन जब उन्होंने हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को कुँए में न देखा तो उन्हें तलाश हुई | तलाश व जुस्तुजू में काफिले तक पहुचें | वहाँ उनहोंने मालिक बिन जअर के पास हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को देखा तो वो उससे कहने लगे ये गुलाम हे | हमारे पास से भाग आया है किसी काम का नहीं है नाफरमान है अगर खरीदो तो हम इसे सस्ता ही बेच देंगें | हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम उनके खौफ से खामोश खड़े रहे और कुछ न फ़रमाया | फिर सौदा तय हो गया | (ख़ज़ाईनल इरफ़ान)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सला को बाजार मिस्र में किसने और कितनी क़ीमत में ख़रीदा था ?
जवाब :- मालिक बिन जअर ख़ुशी ख़ुशी अपने रफ़ीक़ व यारो के साथ हज़रत युसूफ अलैहिसलाम को लेकर मिस्र पहुंचे | अज़ीज मिस्र ने जब हसीन व जमील गुलाम की खबर सुनी तो हुक्म भेजा की इसे नखास में लाएं | दुसरे रोज़ मालिक बिन जअर युसूफ अलैहिस्सलाम को आरास्ता करके बाजार में लाया तो तमाम बाज़ार मिस्र में में युसूफ अलैहिस्सलाम के हुस्न के जलवे की शोहरत मुश्तहिर हो गई और खरीदारों का हुजूम आ गया हर शख्स के दिल में दिल से आपकी तलब पैदा हुई और खरीदारों ने क़ीमत बढ़ानी शरु की | नौबत यहां तक पहुंची कि आपके वज़न के बराबर सोना उतनी ही चांदी उतना ही मुश्क और उतना ही हरीर क़ीमत तय हुई | उस वक़्त आपका वज़न चार सौ रतल था | और खरीदने वाले का नाम कतफीर मिश्री था | तमाम ख़ज़ाने मिस्र के उसके हाथ में थे लोग उसे अज़ीज़े मिस्र कहते थे | (ख़ज़ाईनल इरफ़ान)
बाज़ कहते हैं अज़ीज़े मिस्र का नाम अतफ़ीर बी रोहोब था |

तरजुमानुल क़ुरआन हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते हैं कि बाजार मिस्र में जिसने आपको ख़रीदा उसका नाम मालिक बिन ज़अर बिन अनक बिन इब्राहीम था |
इब्ने इस्हाक़ के बा क़ौल उसका नाम अतगर था | (इब्ने कसीर)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के ज़माने में मिस्र का बादशाह कौन था ?
जवाब :- उस ज़माने में मिस्र की सलतनत पर रियान बिन वलीद बिन नजदान अमालीकी बैठा हुआ था और उसने अपनी हुकूमत की बागडोर कतफीर मिश्री या अतफ़ीर बिन रोहीब के हाथ में दे रखी थी जो मुल्क का मदारुल मुहाम कहलाता था और अज़ीज़े मिस्र के नाम से मशहूर था |
(ख़ज़ाईनुल इरफ़ान)

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सवाल :- अज़ीज़े मिस्र की बीवी का नाम क्या था ?
जवाब :- अज़ीज़े मिस्र कि बीवी का नाम राईल या ज़ुलैख़ा था और वो ज़्यादा मशहूर ज़ुलैख़ा ही है या रआबील कि नेक बेटी थी |

और साहिबे ऐनुल मआनी ज़ुलेखा का नाम हुलिया लिखते हैं |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की बरअत की शहादत जिस बच्चे ने दी थी उसकी उम्र कितनी थी और ज़ुलैख़ा से उसका क्या रिश्ता था ?
जवाब :- वो शीरख्वार ज़ुलैख़ा का मामू ज़ाद भाई था | उसकी उम्र चार माह थी | अल्लाह तआला ने उस वक़्त उस बच्चे को बोलने की क़ुव्वत अता फ़रमाई और बच्चे ने युसूफ अलैहिस्सलाम की बरात व बेनिगाही की गवाही दी |
इस बरात की गवाही के तहत एक रिवायत ये भी है कि ये गवाह एक बड़ा आदमी था जिसकी दाढ़ी भी थी | अज़ीज़े मिस्र का ख़ास और ज़ुलेखा का चाचा ज़ाद भाई था |

इस वाक़िए की तफ्सील
ज़ुलैख़ा बड़ी हसीन औरत थी और शाही मगरिब तैमूस या रआबील की बेटी थी |उसने एक रात ख्वाब में एक हुसन व जमाल के पैकर शख्स को देखा और उससे पूछा तुम कौन हो ? तो उसने बताया की में अज़ीज़े मिस्र हूँ | ज़ुलैख़ा के दिल में उस ख्वाब का नक्शा जम गया और हर वक़्त वो ख्वाब आँखों के सामने रहने लगा |

बड़े बड़े बादशाहों के शादी के पैगाम आये लेकिन उसने इंकार कर दिया और अपना इरादा ज़ाहिर कर दिया की में तो अज़ीज़े मिस्र से निकाह करूंगी | चुनांचे शाही तैमूस ने अपनी बेटी ज़ुलैख़ा का निकाह अज़ीज़े मिस्र से कर दिया | ज़ुलैखा ने जब अज़ीज़े मिस्र को देखा तो ये देखकर हैरान रह गई की ये वो नहीं जिसे ख्वाब में देखा था | यहां तक की अज़ीज़े मिस्र ने मिस्र के बाजार में बिकते हुए हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को ख़रीदा और उन्हें घर लाया | ज़ुलैखा ने जब युसूफ अलैहिसलाम को देखा तो ख्वाब के नक़्शे के मुताबिक़ पाया और वो युसूफ अलैहिस्सलाम से मुहब्बत करने लगी बल्कि आपके हुस्न व जमाल पर आशिक़ हो गई | फिर उसने एक महल बनवाया जिसमे सात कमरे थे और उस महल को खूब सजाया और खुद भी सज धज कर किसी बहाने से युसूफ अलैहिस्सलाम को महल में ले गई और उसका दरवाज़ा भी बंद कर दिया | फिर दुसरे कमरे में ले गई और उसका भी दरवाज़ा बंद कर दया | फिर तीसरे में फिर चौथे में यहां तक की सब कमरों के दरवाज़े बंद करते हुए सातवें कमरे में हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को ले गई | वहाँ जाकर युसूफ अलैहिस्सलाम से क़बाहत की तलबगार हुई और दावत देने लगी की आप उसके साथ मशगूल हो कर उसकी नाजाइज ख्वाहिश को पूरा करें | हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ये सूरते हाल देख कर हैरान रह गए और ज़ुलैख़ा से फ़रमाया:

अल्लाह से डर, इस महले सुरूर को महले हुज़्न न बना | ज़ुलैखा ने न माना और बेहद ज़िद पर आगई | हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम वहाँ से भागे | ज़ुलैख़ा भी पीछे भागी | हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने भागते हुए जिस कमरे का भी रुख किया उसका ताला अपने आप खुलता चला गया | ज़ुलैखा ने पीछा करते हुए आपका कुरता मुबारक पीछे से पकड़ कर आपको खींचा कि आप निकलने न पायें | कुरता पीछे से फट गया मगर आप ग़ालिब आये और बाहर निकल आये इस कश्मकश के वक़्त सदर दरवाज़े पर अज़ीज़े मिस्र खड़ा था उसने दोनों को दौड़ते हुए देख लिया | ज़ुलैखा ने अपनी सफाई ज़ाहिर करने और युसूफ अलैहिस्सलाम को डराने के लिए हीला तराशा और अपने खाविंद से कहने लगी:

जो तेरी बीवी के साथ बुराई के साथ पेश आये उसकी सजा किया है में सो रही थी कि इसने आकर मेरा कपड़ा हटा कर मुझे फुसलाया | इसे क़ैद कर दो या कोई और तकलीफ देने वाली सजा दो | जब युसूफ अलैहिस्सलाम ने ये देखा कि ज़ुलैख़ा उल्टा आप पर इलज़ाम लगा रही है तो आपने अपनी सफाई का इज़हार और असलियत का बताना ज़रूरी समझा |

आपने फ़रमाया :- ए अज़ीज़े मिस्र ये बिलकुल ही गलत बयान कर रही है वाक़्या इसके खिलाफ है इसने मुझे खुद लुभाया और मुझ से बुरे काम कि तलबगार हुई | अज़ीज़े मिस्र हैरान हो गया कि दोनों में से सच्चा कौन है ?और बोला – ए युसूफ में कैसे मान लू कि तुम सच्चे हो ?

युसूफ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया
घर में एक चार महीने का बच्चा पालने में लेटा हुआ है उससे पूछ लीजिये कि वाक़्या क्या है ?
अज़ीज़े मिस्र ने कहा भला चार माह का बचा क्या जाने और वो कैसे बोले ? आपने फ़रमाया:
अल्लाह तआला इसको गोयाई देने और मेरी बेगुनाही कि शहादत अदा करा देने पर क़ादिर है |
लिहाज़ा जब अज़ीज़े मिस्र ने उस बच्चे से पूछा तो क़ुदरते इलाही से वो बच्चा बोला और बुलंद आवाज़ से साफ़ ज़बान से कहने लगा युसूफ का कुरता देख लो अगर उनका कुरता पीछे से फटा है तो युसूफ सच्चे है और अगर कुरता आगे से फटा है तो ज़ुलैख़ा सच्ची है लिहाज़ा कुरता देखा गया तो वो पीछे से फटा था और ये हाल शरीफ ये बता रहा था कि युसूफ अलैहिस्सलाम ज़ुलैख़ा से भागे थे और ज़ुलैख़ा पीछे पड़ी थी | इसलिए कुरता पीछे से फटा

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने क़ैद खाने में जिन दो क़ैदियों को ख्वाब कि ताबीर बतलाई थी उनके नाम क्या हैं ?
जवाब :- उनके नामों के बारे में मुख्तलिफ क़ौल हैं |

  1. उनमे से एक शाही रसोई का मोहतमिम था और दूसरा दरबारे शाही का साक़ी | पहले का नाम महलत और दूसरी का नाम बनू था |
  2. एक का नाम राशान और दुसरे का नाम मरतीश था |
  3. उन दोनों का नाम बिसरहम और सरहम था |
  4. शाही दस्तर ख्वान के निगेहबान का नाम बहलस और साक़ी दरबारे शाही का नाम बन्दार था

वाक़्या
ज़ुलैखा ने हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को तंग करने के लिए और अपनी बात मनवाने के लिए किसी बहाने जेल भेज दिया जिस दिन हज़रत युसूफ अलैहिसलाम जेल भेजे गए वे दो नौजवान और भी जेल में दाखिल किए गए | ये दोनों बादशाह मिस्र के खास मुल्ज़िम थे | हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने जेल में अपने इल्म व फ़ज़ल का इज़हार शुरू किया और तौहीद की तब्लीग शरू फ़रमा दी | और आपने ये भी इज़हार फ़रमा दिया कि मैं ख्वाबों की ताबीर भी खूब जानता हूँ चुनाँचें वो दो नौजवान जो आपके साथ ही जेल में दाखिल किए गए थे कहने लगे हमने आज रात को ख्वाब देखें हैं | उनकी ताबीर बताएं |

साक़ी ने कहा: मेने देखा कि में एक बाग़ में हूँ वहाँ एक अंगूर के पेड़ में तीन गुच्छे लगे हुए हैं | बादशाह का कासा मेरे हाथ में है | में उन गुच्छे से शराब निचोड़ता हूँ |

बावर्ची ने कहा: मेने देखा है कि मेरे सर पर कुछ रोटियां हैं जिनमे से परिंदे खा रहे हैं |

हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने उन दोने के ख्वाब की ताबीर बयान फ़रमा दी जो सौ फीसद सही साबित हुई | आपने फ़रमाया: ए साक़ी तू अपने ओहदे पर बहाल हो जायेगा और पहले की तरह अपने बादशाह को शराब पिलायेगा | और तीन गुच्छे जो ख्वाब में बयान किए गए ये तीन दिन हैं यानी इतने ही दिन क़ैद में रहेगा | फिर बादशाह तुझको बुला लेगा और ए बावर्ची तू एक मुद्दत तक जेल खाने में रहकर सूली दिया जाएगा और परिंदे तेरा सर खाएंगे|

हज़रत इब्ने मसऊद रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि ताबीर सुनकर उन दोनों ने हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम से कहा:

ख्वाब तो हमने कुछ भी नहीं देखा | हम तो महिज़ मज़ाक़ कर रहे थे | हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: मेने जो कह दिया वो होकर रहेगा | तुमने ख्वाब देखा हो या न देखा हो |
चुनांचे ऐसा ही हुआ जो हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया था | साक़ी पर इलज़ाम साबित न हो सका और वो अपने ओहदे पर बहाल हो गया और बावर्ची पर जुर्म साबित हो गया और वो सूली दे दिया गया|

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने जिन कैदियों को ताबीर बतलायी थी वह किस जुर्म में कैद में डाले गए ?
जवाब :- उन दोनों पर यह इलज़ाम था के उन्होंने बादशाह रियान को ज़हर देने की साज़िश की थी

सवाल :- हज़रते युसूफ अलैहिस्सलाम कितनी मुद्दत क़ैद खाने में रहे ?
जवाब :- हज़रते युसूफ अलैहिस्सलाम बारह साल जेल खाने में रहे | एक क़ौल तेरह साल का है|

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने कैद खाने से बहार आते वक़्त उसके दरवाज़े पर क्या लिखा था ?
जवाब :- आप ख़ुशी ख़ुशी बहार तशरीफ़ लाए तो उसके दरवाज़े पर लिखा : यह बला घर, ज़िंदा की क़ब्र, दुश्मनो की बदगोई और सच्चो की इम्तिहान कि जगह है| (ख़ज़ाईनल इरफ़ान)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की उम्र उस वक़्त कितनी थी जब आप मिस्र के वज़ीर खज़ाना बनाये गए ?
जवाब :- बादशाह रियान ने जिस वक़्त अपनी हुकूमत के सारे खज़ाना आपके सुपुर्द किए यानी आपको वज़ीरे खज़ाना बनाया तो उस वक़्त आपकी उम्र शरीफ तीस साल की थी |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की ज़ुलैख़ा से कितनी औलाद हुईं ?
जवाब :- अज़ीज़े मिस्र के इन्तिक़ाल के बाद बादशाह रियान ने ज़ुलैख़ा का निकाह आपके साथ कर दिया और उससे आपके दो बेटे हुए अफरासीम और मीसा |

अफरासीम हज़रत यूशा बिन नून के दादा यानी नून के वालिद हैं और एक बेटी रहमत नामी भी पैदा हुई जो हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम के निकाह में आयी |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम कितनी ज़बाने जानते थे ?
जवाब :- आप बहत्तर ज़बाने जानते थे |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने अपने वालिद के विसाल के कितने दिनों बाद इन्तिक़ाल फ़रमाया ?
जवाब :- आपने अपने वालिद माजिद हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के विसाल के तेईस साल बाद आलमे विसाल की तरफ कुछ फ़रमाया | (ख़ज़ाईनल इरफ़ान)

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम को कहाँ दफ़न किया गया था और क्यों | अब कहाँ दफ़न हैं ?
जवाब :- जब आपने आलमे फानी से कूच फरमाकर जवारे रहमत इलाही में नुज़ूल किया तो आपके मुक़ामे दफ़न में अहले मिस्र के बीच शदीद इख्तिलाफ और झगड़ा वाक़े हुआ हर मोहल्ले इलाक़े वाले बरकत व सआदत के हासिल करने के लिए अपने ही मोहल्ले में दफ़न करने पर अड़े हुए थे आखिर ये राय करार पाई की आपकी जाते मैमून व बदन शरीफ हुमाइयो को दरयाए नील में दफ़न किया जाये ताकि पानी आपकी क़ब्र से छूता हुआ गुज़रे और उसकी बरकत मैमनियत से तमाम अहले मिस्र फ़ायदा उठायें लिहाज़ा आपको संगे रखाम या संगे मरमर के संदूक में दरयाए नील के अंदर दफ़न किया गया और आप वहीँ रहे यहां तक की चार सौ बरस के बाद हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने आपके ताबूत शरीफ को निकला और आपके आबाए किराम के पास मुल्के शाम में दफ़न किया |

सवाल :- हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी थी ?
जवाब :- आपकी उम्र शरीफ एक सौ बीस साल हुई |

हवाला – (इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात, अल इत्तीकान,हाशिया जलालैन)

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