हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की कशफो करामात और आप की औलादे अमजाद व खुलफ़ा,

हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह का तसर्रुफ़ :- हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की करामातों में से एक बहुत बड़ी करामत ये भी है के आप ने तीन चार साल से ज़्यादा हिदायत और इरशाद में मशगूल नहीं हुए मगर इस थोड़ी सी मुद्दत में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की मख्लूक़ में आप ने ऐसा तसर्रुफ़ किया के अक्सर मशाइखे वक़्त आप की खिदमत में हाज़िर होते और आप के अनवारो बरकात से तमाम रूए ज़मीन पर रच बस गए, जहाँ कहीं भी राहे हक़ के तालिब होते वो दौड़े चले आते, इस थोड़ी सी मुद्दत में हिंदुस्तान समरकंद हो गया और सिलसिलाए आलिया नक्शबंदिया एहरारिया हिंदुस्तान में मश्हूरो मारूफ और फ़ैल गया,

इमाम पर आप का खौफ :- एक मर्तबा का ज़िक्र है के एक खतीब साहब मिम्बर पर थे, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह मिम्बर के सामने तशरीफ़ फरमा थे अचानक खतीब साहब की निगाह आप के जमाले मुबारक पर पड़ी, उसी वक़्त बदन लरज़ गया और उन पर इस हालत का ऐसा खौफ तरी हुआ के बोलने की ताकत नहीं रही है और बे इख़्तियार हो कर मिंबर से गिर पड़े,

हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के तसर्रुफ़ से नूर ही नूर नज़र आया :- रमज़ान शरीफ में एक दफा सेहरी के वक़्त आप के खलीफाओं मुरीद इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह ने खादिम के हाथ हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में फालूदा भेजा, खादिम ने पहुंच कर दरवाज़ा खटखटाया आप ने उस वक़्त किसी को बेदार नहीं किया इस लिए खुद दरवाज़े पर तशरीफ़ लाए और फालूदे का प्याला खादिम के हाथ से ले लिया और फ़रमाया तेरा नाम क्या है उस ने अर्ज़ किया मेरा नाम बामा है हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया चूंकि तू हमारे शैख़ अहमद का खादिम है इस लिए तू हमारे साथ है ये फरमाकर आप घर के अंदर तशरीफ़ ले गए और खादिम वापस हुआ, जिस वक़्त खादिम आप से अलैहदा हो कर जा रहा था तो उस पर आप के तसर्रुफ़ की एक निस्बत ग़ालिब आयी और वो आहो बुका व नारा गिरते पड़ते हुए इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद फ़ारूक़ी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में पंहुचा आप ने उससे पूछा तेरा किया हाल है? वो इस मस्ती और अशोफ़तिगी की हालत में कहता था के में हर जगह हर चीज़ में एक नूर बे रंग, बे निहायत देखता हूँ जिस को बयान नहीं कर सकता इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी शैख़ अहमद फ़ारूक़ी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के यक़ीनन हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह से ये बेचारा मुक़ाबिल हुआ है क्यूंकि इस आफ़ताबे आलम के तक़ाबुल से इस ज़र्रे पर एक परतो यानि एक झलक पड़ी है, दुसरे दिन आप ने ये वाक़िया हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में अर्ज़ किया आप ने मुस्कुराकर टाल दिया,

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हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की दाढ़ी का बाल :- मीर मुहम्मद नोमान रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के उनकी लड़की की एक दाया थी उन्होंने इस को हर चंद हिदायत की के हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की मुरीद हो जाओ मगर वो हमेशा इंकार करती, एक बार किसी पिरोगराम की वजह से हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैहकी खिदमत में ले गई, उन्होंने इस आजिज़ की लड़की को गोद में लेकर उससे बहुत कुछ महरबानी फ़रमाई, उसने हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की दाढ़ी पर हाथ मारा और दाढ़ी के एक बाल उसके हाथ में आ गया, आप ने फ़रमाया के मीर मुहम्मद नोमान की लड़की हम से यादगार ले रही है, उसी ज़माने में हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह विसाल फ़रमागए, ये आप की करामत थी के विसाल से पहले ही आप ने इशारा कर दिया के अब हमारा विसाल हो जाएगा, और वो दाढ़ी के बाल मुबारक आज तक हमारे घर में बतौरे यादगार बाक़ी है,

खाने में बे एहतियाती की खबर देना :- एक बार एक दुर्वेश साहिबे कशफो हाल ने हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह से अर्ज़ किया के में आज कल अपने काम में बंदिश और अपने बातिन से ज़ुल्मत देखता हूँ मालूम नहीं के किस गुनाह के सबब से ऐसा हुआ है, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने इस बारे में तवज्जुह फ़रमाई और आप ने इरशाद फ़रमाया के तुमने खाने में एहतियात छोड़ दी है, उसने अर्ज़ किया के लुक्मा वही है जो हमेशा से था, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया तलाश व जुस्तुजू करो इस के सिवा और कोई वजह मालूम नहीं होती, जब अच्छी तरह जुस्तुजू की गई तो मालूम हुआ के खाना पकाने में जो लकड़ी देग के नीचे जलाई जाती है, उसमे ही बे एहतियाती हो गई थी,

आप की करम नवाज़ी :- एक रोज़ एक दुर्वेश हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की नमाज़े बा जमाअत में हाज़िर हुए जाड़े का मौसम था और उन के पास लिहाफ रज़ाई नहीं थी इस लिए उन के दिल में ख़याल आया के अगर हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह मुझ को लिहाफ अता फरमाएं तो बेहतर है, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने सलाम फेरने के बाद फ़ौरन फ़रमाया के इस दुर्वेश को लिहाफ दो वो दुर्वेश कहता था के उस रोज़ से में हमेश खौफ ज़दह रहता के ऐसा न हो के कोई खतरा जिससे हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह को मलाल पहुंचे मेरे दिल में गुज़रा, हकीकत में आप के तरीका भी यही था के मजलिस शरीफ में अगर कोई खतरा गुज़रता तो फ़ौरन आप के बातिन पर ज़ाहिर हो जाता आप का बातिन लतीफ़ आईने की तरह था, इसी लिए हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह दोनों तरफ अपने मुख्लिस अहबाब को खड़ा करते थे, क्यूंकि अगर कोई बे गाना आ जाता तो फ़ौरन उस की गफलत और नुकसान या उस के ख़तरात हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के आईनाये बातिन में ज़ाहिर हो जाते थे,

बाँझ औरत साहिबे औलाद हो गई :- कहते हैं के एक औरत हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की वालिदा माजिदा की खिदमत में आयी और कहा के में बाँझ हूँ, इस लिए मेरा शोहर दूसरी औरत से निकाह करना चाहता है, उस औरत ने रंजो गम बेक़रारी का इज़हार किया, आप की वालिदा माजिदा हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत लायीं, और इस बाँझ औरत की परेशानी बयान की इत्तिफ़ाक़ से उस वक़्त हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह मजूने फलासफा खा राहे थे, आप ने उसमे से माजून का कुछ हिस्सा उस औरत को दे दिया और कहा के इस को खालो और आज की रात अपने शोहर के साथ बसर करना, उम्मीद है के तुम हामिला हो जाओगी, उस बाँझ औरत ने कामिल अक़ीदे के साथ उस को खा लिया और रात अपने शोहर के साथ गुज़ारी हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की बरकत से वो अकीमा यानि बाँझ औरत उसी रात हामिला हो गई, और उस के शोहर ने दूसरे निकाह का इरादा ख़त्म कर दिया,

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उसने घोड़े का हिस्सा खा लिया :- एक दिन हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के घोड़े के मालिक का लड़का आया और आप से अर्ज़ किया मेरे बाप के पेट में ऐसा दर्द है के वो मोत के क़रीब है आप ने फ़रमाया उस ने बे ज़बान घोड़े का हक़ लेलिया है अगर वो उसे वापस दे दे तो वो ठीक हो जाएगा, लड़के ने जा कर अपने बाप से कहा तो पता चला जो हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया था वो सच्चा ही था उसने कुछ रोगन और दाना ले लिया था उसने उसे वापस कर दिया, वो उसी वक़्त ठीक हो गया,

बीमार औरत ठीक हो गई :- एक रोज़ हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह का एक मुरीद आप की खिदमत में आया और अर्ज़ किया के मेरी बीवी सख्त बीमार है और हिस्सो हरकत से आजिज़ हो गई है में उसकी ज़िन्दगी की उम्मीद नहीं रखता, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया तुम अपने घर जाओ और एक चादर अपनी एक बीवी को उड़ा दो, चुनाचे वो साहब अपने घर गए और एक चादर अपनी बीमार बीवी को उड़ा दी, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह उनके घर तशरीफ़ ले गए और उस बीमार के पास कुछ देर खड़े रहे और मर्ज़ को दफा करने के लिए उस पर तव्वजुह फ़रमाई,
उस के बाद आप ने फ़रमाया के इस को सेहत हो गई, फिर आप बाहर तशरीफ़ ले आए, और वो आप के मुरीद रुखसत करने के लिए दरवाज़े तक बाहर आए, जब वो हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह को रुखसत कर के घर के अंदर तशरीफ़ लाए तो देखा के उनकी बीवी सही और तंदुरुस्त बैठी हुई हैं, और मर्ज़ का कोई असर बाक़ी नहीं था,

पड़ोसी ज़ुल्म से बच गया :- एक बार हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के पड़ोसी पर नाइब हाकिम ने दस्ते ज़ुल्म दराज़ किया, और उस को घर से निकाल देना चाहा, जब ये वाक़िअ हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह तक पंहुचा तो आप ग़ज़बनाक हो कर निकले और उस ज़ालिम से फ़रमाया के इस मोहल्ले में फुकरा फ़क़ीर रहते हैं इन को माफ़ कर दो, लेकिन वो इस ज़ुल्म से बाज़ नहीं आया हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के हमारे हज़रात ख्वाजगांन बहुत गैरतमंद हैं, सिर्फ तेरी जान ही नहीं बल्कि बहुत सी जाने बर्बाद हो जाएंगी, दो तीन रोज़ गुज़रे थे के वो ज़ालिम चोरी के जुर्म में गिरफ्तार हुआ और अपने खेशो अक़रबा के साथ क़त्ल कर दिया गया,

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बे औलाद को साहिबे औलाद बना दिया :- दिल्ली के एक आलिम शैख़ हामिद ने पचास साल की उमर में एक नौजवान लड़की से शादी की पूरे एक साल तक वो इस पर क़ादिर नहीं हो सके और काफी परेशान रहते अपनी इज़्ज़तो नामूस की वजह से उनका इरादा था के दिल्ली से बाहर चले जाएं और ऐसे गुम हो जाएं के कोई उनका नामो निशान न पाए, उनकी ये बात हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह तक पहुंची और आप को उन के इस हल पर रहम आया, एक दिन हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह सवार हो कर तशरीफ़ ले जा रहे थे, के इत्तिफ़ाक़ से वो बुज़रुग आलिम रास्ते में पैदल चलते हुए मिले चूंकि वो आलिम थे, इस लिए हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह उनकी ताज़ीम के लिए घोड़े से उतर गए उन्होंने बहुत नियाज़मन्दी की और हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के पैरों पर गिर पड़े, हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने उनको उठा कर बगल से लगा लिया और दो तीन बार अपना सीना उनके सीने से मिला कर अच्छी तरह अपने जिस्म से मिला लिया,
इसी बीच में उनके कान में हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह ने आहिस्ता से फ़रमाया के आज रात बीवी के साथ गुज़ारना ज़रूर इस पर क़ादिर हो जाओ गे, उन मौलवी साहब का बयान है के में हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत से जुदा हुआ उसी वक़्त से अपने अंदर एक अजीब क़ुव्वत व ताक़त महसूस हुई जिस को बयांन नहीं कर सकता, अल हासिल ये वो रात मेने अपनी बीवी के साथ बसर की और हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की तवज्जुह व फैज़ और आप के नफीस असर से में क़ादिर हुआ और फिर उससे औलाद हुई,

हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह और आप का नान बाई :- हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के एक दिन हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के यहाँ कुछ मेहमान आ गए, इत्तिफ़ाक़ से उस वक़्त घर में खाने की कोई चीज़ नहीं थी आप मेहमानो की खातिर व तवाज़ो के सिलसिले में परेशान हो कर किसी चीज़ की तलाश में थे आप के घर के पास में एक नान बाई की दुकान थी, जब उसको सूरते हाल का पता चला तो वो बड़े तकल्लुफ के साथ रोगन की रोटी सालन के साथ पका कर आप की खिदमत में लाया,
हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह उस की इस खिदमत से बहुत खुश हुए और फ़रमाया के मांग क्या मांगता है? उसने अर्ज़ किया के मुझे अपनी शक्ल की मिस्ल (तरह) बना दीजिये, आप ने फ़रमाया के तू इस हालत को बर्दाश्त नहीं कर सकता कोई और चीज़ मांग लेकिन वो इसी पर ज़िद करता रहा आप इंकार फरमाते रहे, जब वो नहीं माना तो नाचार उसको हुजरे में ले गए और मुआनिका फरमा कर उस पर नज़र डाली, जब बाहर आए तो आप और नान बाई में शक्लो सूरत के कोई फ़र्क़ नहीं था और लोगों के लिए इम्तियाज़ (फ़र्क़) करना मुश्किल हो गया, अलबत्ता ये फ़र्क़ ज़रूर रहा के हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह होश में और नान बाई बेहोश और बे खबर था, आखिर कार तीन दिनों के बाद इसी सुक्र व बेहोशी में इन्तिकाल कर गया,
इस नान बाई का मज़ार हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार के बराबर में है और मज़ार की तख्ती पे लिखा हुआ है, मज़ार हज़रत ख्वाजा हसन खलीफा व नान बाई हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह,

हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की औलाद व अज़वाज :- आप ने दो निकाह फरमाए थे, आप के बड़े साहबज़ादे “हज़रत ख़्वाजा उबैदुल्लाह जो ख़्वाजा कलां” के नाम से मशहूर हुए, आप की पैदाइश 1010, हिजरी को हुई, अभी आप दो साल के भी नहीं हुए थे के हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह विसाल फ़रमा गए, लिहाज़ा हज़रत ख़्वाजा हुस्सामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह ने आप की परवरिश की इब्तिदाई तालीम के साथ साथ हज़रत ख़्वाजा शैख़ इलाह दाद रहमतुल्लाह अलैह से सिलसिलाए आलिया नक्शबंदिया के शुग्ल से फ़ैज़याब कराया,
आला तालीम व तरबियत हासिल करने के बाद ख़्वाजा उबैदुल्लाह को हज़रत मुजद्दिदे अल्फिसानी रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में भेजा गया जहाँ उन्होंने रूहानी फैज़ हासिल किया और हज़रत मुजद्दिदे अल्फिसानी रहमतुल्लाह अलैह ने उन्होंने तमाम बातनि उमूर से फ़ैज़याब किया, ख़्वाजा उबैदुल्लाह का इसमें गिरामी हज़रत ख़्वाजा बैदुल्लाह एहरार रहमतुल्लाह अलैह के नाम पर रखा गया, जिन के हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह बेहद मोतक़िद थे,
हज़रत ख़्वाजा खुर्द: हज़रत ख़्वाजा अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह आप “ख़्वाजा खुर्द” के नाम से मशहूर हुए आप हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के छोटे साहबज़ादे थे, और आप हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की दूसरी बीवी से थे, और अपने बड़े भाई से सिर्फ चार महीने छोटे थे,शक्लो शबाहत और सीरत में अपने वालिद मुहतरम की हूबहू तस्वीर थे, वालिद मुहतरम के विसाल के बाद हज़रत ख़्वाजा अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की इब्तिदाई तालीम व तरबियत भी हज़रत ख़्वाजा हुस्सामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह ने की जो अपने मुर्शिद की वफ़ात के बाद उनकी ख़ानक़ाह और तमाम खानदान के निगराँ देख रेख करने वाले थे, आप को भी इमामे रब्बानी हज़रत मुजद्दिद अल्फिसानी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह के पास भेजा गया वहां उन्होंने रूहानी व बातनि तालीम के साथ साथ इल्मे कलाम व तसव्वुफ़ की आला तालीम हासिल की जिस का नतीजा ये हुआ के आप इल्मे कलाम और फलसफा व तसव्वुफ़ के बहुत बड़े आलिम बने,
हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के ये दोनों साहबज़ादों के मज़ार हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार के पास पूरब और पच्छिम की तरफ ही बने हुए हैं, क़ब्रिस्तान के अंदर,

हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के खुल्फ़ए किराम :- हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के पहले
जलीलुल क़द्र खलीफा “शैख़ ताजुद्दीन संभली रहमतुल्लाह अलैह” थे, और वो आखिर में मक्का मुकर्रमा ज़ादाहल्लाहू शरफऊं व ताज़ीमा में रहने लगे और वहीँ विसाल फ़रमाया,
आप के दुसरे खलीफा जो सब से ज़्यादा मश्हूरो मारूफ हुए वो “इमामुल वासिलीन हुज्जातुल आरफीन मुजद्दिदीने शैखुल इस्लाम यानि सिलसिलए नक्शबंदिया के अज़ीम पेशवा हज़रत सय्यदना मुजद्दिदे अल्फिसाने शैख़ अहमद सरहिंदी फ़ारूक़ी नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह आप अपने वक़्त के अज़ीम मुजद्दिद थे, जब बादशाह अकबर ने दीने इलाही चलाया और गुमराहीयत फैलाई तो आपने उस के गुरूरो घमंड व नापाक ख्यालों मिटटी में मिला दिया, आप का मज़ार शरीफ इंडिया के सूबा पंजाब के शहर सरहिंद हाइवे रोड पर है,
आप के तीसरे खलीफा हज़रत ख्वाजा हुस्सामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह हैं, आप हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के बड़े मुरीदों और मुख्लिस अहबाब व खुलफ़ा में से हैं, और आप का मज़ार हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार से पूरब की जानिब क़रीब में ही है,
आप के चौथे खलीफा हज़रत शैख़ अल्लाह दाद हैं, आप हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के क़दीम (पुराने) असहाब दोस्तों में से हैं, आप का मज़ार हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार से पच्छिम की तरफ है, क़ब्रिस्तान के अंदर,

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हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की तसनीफ़ात :-

  • मक्तूबात,
  • मलफ़ूज़ात व मजालिस,
  • रोबाईयात,
  • शरह रोबाईयात,
  • मसनवी,
  • मसाइल हक़ीक़ते नमाज़,
  • बयाने तौहीद,
  • रिसालाए तरीकत,
  • दुआए क़ुनूत की तफ़्सीर,

आप का विसाले पुरमलाल :- हज़रत ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह का विसाल 25, जमादिउल उखरा 1012, हिजरी मुताबिक 1603, ईस्वी में हुआ, आप का उर्स मुबारक जमादिउल उखरा की 24, 25,तारिख को होता है हर साल बहुत ही शानो शौकत के साथ, “अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो”

आप का मज़ार मुबारक :- आप का मज़ार मुबारक, क़ुतब रोड नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सदर बाज़ार की तरफ जाते वक़्त बाएं यानि उलटे हाथ पर एक सड़क जाती है जिस का नाम ईद गाह रोड है इसी रोड पर मौजूद है क़ब्रिस्तान के अंदर, इंडिया की राजधानी दिल्ली में,

मआख़िज़ व मराजे (रेफरेन्स) :- तज़किराए नक्शबंदिया खैरिया, हज़रातुल क़ुद्स, ज़ुुब्दतुल मक़ामात, तज़किराए ख़्वाजा बाक़ी बिल्लाह, दिल्ली के 32, ख़्वाजा, रहनुमाए माज़राते दिल्ली, इरफानियाते बाक़ी, हयाते बाक़ी, ख़ज़ीनातुल असफिया जिल्द, 4, जवाहिरे नक्शबंदिया मज़ाहिरे चौराहिया,

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