ग़ैब की खबर देना :- हज़रत अल्लामा ताजुद्दीन सुबकी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी किताब “तबक़ात” में लिखते हैं के एक शख्स ने रास्ते में चलते हुए एक अजनबी औरत को घूर घूर कर गलत निगाहों से देखा | उसके बाद ये शख्स अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की खिदमते अक़दस में हाज़िर हुआ इस शख्स को देख कर हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने निहायत ही पुर जलाल लहजे में फ़रमाया के
तुम लोग ऐसी हालत में मेरे सामने आते हो के तुम्हारी आँखों में ज़िना के असरात होते हैं | इस शख्स ने जल भुनकर कहा के क्या रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बाद आप पर वही उतरने लगी है? आप को ये कैसे मालूम हो गया की मेरी आँखों में ज़िना के असरात हैं?
हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने इरशाद फ़रमाया के मेरे ऊपर वही तो नाज़िल नहीं होती लेकिन मेने जो कुछ कहा है ये बिलकुल ही क़ौले हक़ और सच्ची बात है और खुदा वनदे क़ुद्दूस ने मुझे एक ऐसी फिरासत यानि नूरानी बसीरत अता फ़रमाई है जिससे में लोगों के दिलों के हालात व ख्यालात मालूम कर लेता हूँ | (करामाते सहाबा बा हवाला हुज्जातुल्लाहुल आलमीन)

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हाए मेरे लिए जहन्नम है :- हज़रत अबू क़िलाबा रदियल्लाहु अन्हु का बयान है के में मुल्के शाम की सर ज़मीन पर था तो मेने एक शख्स को देखा जो बार बार ये सदा लगाते हुए सुना “हाए अफसोफ मेरे लिए जहन्नम है” में उठकर उस के पास गया तो ये देख कर हैरान रह गया के उस शख्स के दोनों हाथ और पाऊँ कटे हुए हैं और वो दोनों आँखों से अंधा है और अपने चेहरे के बल ज़मीन पर औंधा पढ़ा हुआ बार बार लगातार यही कह रहा है के “हाए अफसोफ मेरे लिए जहन्नम है” ये सुनकर उस ने कहा के ऐ शख्स मेरा हाल न पूछ में उन बद नसीब लोगों में से हूँ जो अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को क़त्ल करने के लिए उन के मकान में घुस पड़े थे | में जब तलवार लेकर उनके क़रीब पंहुचा तो उनकी बीवी साहिबा ने मुझे डाँट कर शोर मचाना शुरू किया तो मेने उनकी बीवी साहिबा को एक थप्पड़ मर दिया ये देखकर अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने ये दुआ मांगी के अल्लाह तआला तेरे दोनों हाथों और पाऊँ को काट डाले और तेरी दोनों आँखों को अंधी कर दे और तुझ को जहन्नम में झोंक दे ऐ शख्स में अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के पुर जलाल चेहरे को देखकर और उनकी इस काहिराना दुआ को सुन कर कांप उठा और मेरे बदन का एक एक रोंगटा खड़ा हो गया और में खौफ दहशत से कांपते हुए वहां से भाग निकला अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की चार दुआओं की ज़द में तो में आ चुका हूँ तुम देख रहे हो के मेरे दोनों हाथ और पाऊँ कट चुके और दोनों आँख अंधी हो चुकी अब सिर्फ चौथी दुआ यानि मेरा जहन्नम में दाखिल होना बाक़ी रहा गया है और मुझे यक़ीन है के ये मुआमला भी यक़ीनन होकर रहेगा चुनाचे अब में इसी का इन्तिज़ार कर रहा हूँ और अपने जुर्म को बार बार याद कर के शर्मसार हो रहा हूँ और अपने जहन्नमी होने का इक़रार करता हूँ मज़कूरा बाला वाक़िआत अमीरुल मोमिनीन हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की अज़ीम करामातें हैं जो उनकी जलालते शान और बारगाहे खुदा वन्दी में उनकी मक़बूलियत और विलायत की वाज़ेह निशानियां हैं | (खुलफाए राशिदीन)

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हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की शहादत :- हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का दौरे खिलाफत कुल बारह (12) साल रहा शुरू के छेह (6) बरसों में लोगों को आप से कोई शिकायत नहीं हुई | बल्कि इन बरसों में वो हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु से भी ज़्यादा लोगों में मक़बूल व मेहबूब रहे इस लिए के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु के मिजाज़ में कुछ सख्ती थी और हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु में सख्ती का वुजूद न था आप बहुत बामुरव्वत थे | लेकिन आखरी छेह (6) बरसों में बाज़ गवर्नरों के सबब लोगों को आप से शिकायत हो गई आप ने अब्दुल्लाह बिन अबी सराह को मिस्र का गवर्नर मुक़र्रर किया | अभी अबदुल्लाह के तक़र्रुर को सिर्फ दो साल गुज़रे थे के मिस्र के लोगों को उन से शिकायतें पैदा हो गईं | उन्होंने हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु दाद रसी चाही आप ने बज़रीए तहरीर अब्दुल्लाह को सख्त हिदायत फ़रमाई और ताकीद की के खबरदार आइन्दः तुम्हारी शिकायत मेरे पास न पहुंचे मगर अब्दुल्लाह ने आपके खत की कुछ परवा न की बल्कि मिस्र के जो लोग दारुलखिलाफ़ा मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में शिकायत लेकर आये थे उनको क़त्ल कर दिया इससे मिस्र की हालत और ज़्यादा खराब हो गई यहाँ तक के वहां सात सौ (700) अफ़राद मदीना शरीफ आये और हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु से अब्दुल्लाह की ज़्यादती बयान कीं और दुसरे सहाबए किराम से भी शिकायते कीं तो बाज़ सहाबए किराम ने हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की उम्मुल मोमिनीन हज़रते आएशा रदियल्लाहु अन्हा ने आप के पास कहला भेजा के रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबा आप के पास आये हैं और अब्दुल्लाह बिन अबी सराह जिस पर क़त्ल का इलज़ाम है उसकी मअज़ूली और बरतरफी का आप से मुतालबा करते हैं मगर आप उनकी बातों पर तवज्जुह नहीं देते आप को चाहिए के ऐसे शख्स को मुनासिब सज़ा दें |
और हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु तशरीफ़ लाए उन्होंने भी हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु से कहा के ये लोग नाहक़ के सबब मिस्र के गवर्नर की मअज़ूली चाहते हैं आप इस मामले में इन्साफ कीजिए और अब्दुल्लाह बिन सराह की जगह पर किसी दुसरे को गवर्नर मुक़र्रर कर दीजिए |
आप रदियल्लाहु अन्हु ने मिस्र के लोगों से फ़रमाया के आप लोग खुद ही किसी को गवर्नर चुन लीजिए में अब्दुल्लाह बिन अबी सराह को मअज़ूल करके आप लोगों के चुने हुए गवर्नर को मुक़र्रर करूंगा | इन लोगों ने हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के फ़रज़न्द मुहम्मद बिन अबू बक्र को मुन्तख़ब किया रदियल्लाहु अन्हुमा हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने इन लोगों के इंतिख्वाब को मंज़ूर फरमा लिया और हज़रत मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु के लिए परवाना तक़र्रुरी और अब्दुल्लाह बिन अबी सराह के बारे में मअज़ूली की तहरीर लिख दी हज़रत मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हुमा मिस्र से आये हुए सात सौ (700) अफ़राद और कुछ अंसार व मुहाजिरीन के साथ मिस्र के लिए रवाना हुए |
मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा से अभी ये काफला तीसरी ही मंज़िल पर था के उनको एक हब्शी गुलाम सांड पर बैठा हुआ निहायत तेज़ी के साथ मिस्र की तरफ जाता हुआ नज़र आया उसके रंग ढंग और उसकी तेज़ी रफ़्तार से मालूम होता था के ये गुलाम या तो अपने मालिक से भगा हुआ है और या तो किसी का क़ासिद है | क़ाफ़ले वालों ने उसे बढ़कर पकड़ लिया और पूछा के तू कौन है? तू कहीं से भागा है या तुझे किसी की तलाश है? उसने कहा के में अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का गुलाम हूँ फिर कहा के में मरवान का गुलाम हूँ एक शख्स ने उसे पहचान लिया और बताया के ये अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ही का गुलाम है हज़रत मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु ने उससे मालूम किया के तुम्हे कहाँ भेजा गया है? उस ने कहा मुझे मिस्र के गवर्नर अब्दुल्लाह बिन अबी सराह के पास भेजा गया है इसकी तलाशी ली गई तो उसके खुश्क मशकीज़े से एक खत निकला जो अमीरुल मोमिनी उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की तरफ से आमिले मिस्र अब्दुल्लाह बिन अबी सराह के नाम था हज़रत मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु ने सब लोगों को जमा किया और उन के सामने खत खुला जिसमे लिखा हुआ था जब मुहम्मद बिन अबू बक्र और फलां व फलां तुम्हारे पास पहुंचे तो उनको किसी हीले यानि बहाने से क़त्ल कर दो खत को कल अदम क़रार दो और जब तक के मेरा दूसरा हुक्म नामा पहुंचे अपने उहदे पर बर क़रार रहो |
इस खत को पढ़ कर काफला वाले सब दंग रह गए मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु इस खत पर साथ के चंद ज़िम्मेदार लोगों की मुहरें लगवा दीं और उसे एक शख्स की तहवील में दे दिया और सब लोग वहीँ से मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा को वापस हो गए जब वहां पहुंचे तो हज़रत अली, हज़रत तल्हा, हज़रत ज़ुबैर, हज़रत सअद और दीगर सहाबए किराम रिद्ववानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन को इकठ्ठा करके उन के सामने खत खोल कर सब को पढ़ वाया और उस हब्शी गुलाम का सारा वाक़िआ सुनाया इस पर सब लोग बहुत बरहम हुए और तमाम सहाबए किराम रिद्ववानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन ग़ैज़ व गज़ब में भरे हुए अपने अपने घरों को वापस हो गए | मगर मुहम्मद बिन अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु ने क़बीला बनू तमीम और मिसरियों के साथ हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के मकान पर तशरीफ़ ले गए उनके साथ वो खत गुलाम और ऊंटनी भी थी जो रास्ते में पकड़ी गई थी | हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु से मालूम किया के ये आप का गुलाम है? उन्होंने जवाब दिया के हाँ ये मेरा गुलाम है |
फिर उन्होंने पूछा: ये ऊंटनी भी आप ही की है? उन्होंने जवाब में फ़रमाया: हाँ ये ऊंटनी भी हमारी है फिर हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने वो खत पेश फ़रमाया और पूछा क्या ये खत आपने लिखा है?
उन्होंने फ़रमाया नहीं और ख़ुदाए तआला की क़सम खाकर कहा के न मेने इस खत को लिखा है न किसी को लिखने का हुक्म दिया है और न मुझे इस के बारे में कोई इल्म है हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया बड़े तअज्जुब की बात है के ऊंटनी आप की और खत पर मुहर भी आप की जिसे आप ही का गुलाम यहाँ से लेकर जा रहा था | मगर आप को कोई इल्म नहीं तो फिर हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने अल्लाह तआला की क़सम खाकर फ़रमाया के न मेने इस को खत लिखा है न किसी से लिख वाया है और न मेने गुलाम को ये खत दे कर मिस्र की तरफ रवाना किया |
हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने क़सम खाकर अपनी बरात ज़ाहिर फ़रमाई तो हर शख्स को यक़ीन हो गया के उन का दामन इस जुर्म से पाक है लोगो ने बागौर तहरीर को देखा तो ये ख्याल क़ाइम किया की तहरीर मरवान की है और सारी शरारत इसी की ज़ात से है मरवान उस वक़्त हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के मकान में मौजूद था लोगो ने उन से कहा के आप उसे हमारे हवाले कर दीजिए | आप रदियल्लाहू अन्हु ने इंकार कर दिया इस लिए वो लोग ग़ैज़ व गज़ब में भरे हुए थे मरवान को सज़ा देते और उसे क़त्ल कर देते हालांकि तहरीर से कामिल यक़ीन नहीं होता इस लिए के एक तहरीर दूसरी तहरीर के मुशाबेह होती है तो उन्हें मरवान की तहरीर होने का सिर्फ शुबाह था और शुबेह का फ़ायदाः हमेशा मुल्ज़िम को पहुँचता है इस लिए हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने मरवान को उनके सुपुर्द नहीं किया अलावा उसके सुपुर्द करने में बहुत बड़े फ़ितने का अंदेशा भी था |
बेहरे हाल हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने मरवान को लोगों के हवाले करने से इंकार कर दिया तो सहाबए किराम रिद्ववानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन उन के यहाँ से उठकर चले गए और आपस में ये कह रहे थे के हज़रत उस्मान कभी झूटी क़सम नहीं खा सकते मगर कुछ लोग ये भी कह रहे थे के वो शक से बरी नहीं हो सकते जब तक के मरवान को हमारे सुपुर्द न करें और हम उससे तहक़ीक़ न कर लें और ये मालूम न हो जाए के रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहबियों को क़त्ल करने का हुक्म क्यों दिया गया अगर ये बात साबित हो गई के खत इन्होने ही लिखा है तो हम इन्हें खिलाफत से अलग कर देंगें और अगर ये बात पाए सबूत को पहुंचीं के हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की तरफ से मरवान ने खत लिखा है तो हम उसे सज़ा देंगें | (तारीखे मदीना दमिश्क़)

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मुहासिरे (चरों तरफ से घेर लेना) में सख्ती :- जब अकाबिर असहाब अपने अपने घर चले गए तो बलवाइयों ने मुहासिरे में सख्ती पैदा कर दी यहाँ तक के उन पर पानी बंद कर दिया हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने ऊपर से झांकर मजमें से मालूम क्या तुममे अली हैं? लोगों ने कहा नहीं फिर आप ने पूछा क्या तुममे सअद मौजूद हैं? जवाब दिया गया सअद भी मौजूद नहीं हैं ये जवाब सुन कर आप थोड़ी देर खामोश रहे इस के बाद फ़रमाया कोई शख्स अली को ये खबर पंहुचा दे के वो हमारे लिए पानी अता फरमा दें जब हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को ये खबर पहुंच गई तो उन्होंने आप के लिए पानी से भरे हुए तीन मशकीज़े भिजवा दिए मगर वो पानी मुश्किल से तमाम आप तक पंहुचा के इस के सबब बनी हाशिम और बनी उमय्या के कई गुलाम ज़ख़्मी हो गए |
इस वाक़िए से हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को इस बात का अंदाज़ा हुआ के लोग हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को क़त्ल करना चाहते हैं तो आप ने अपने दोनों साहबज़ादगान यानि हज़रते इमामे हसन और हज़रते इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हुमा से फ़रमाया के तुम दोनों अपनी अपनी तलवारें लेकर हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के दरवाज़े पर जाओ पहरे दरों की तरह होशियार खड़े रहो और खबर दार किसी भी बलवाई को अंदर हरगिज़ न जाने दो इसी तरह हज़रते तल्हा हज़रते ज़ुबैर और गीगर अकाबिर सहाबए किराम रिद्ववानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन ने अपने अपने साहबज़ादगान को हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के दरवाज़े पर भेज दिया जो बराबर निहायत तय्यारी के साथ उनकी हिफाज़त कर रहे थे | (तारीखे मदीना दमिश्क़)

जान देना क़बूल है पर खून रेज़ी नहीं :- हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह तहरीर फरमाते हैं के जब बलवाइयों ने मुहासिरा (चरों तरफ से घेर लेना) सख्त कर दिया तो हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हु चनद मुहाजिरीन के साथ हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के घर पर तशरीफ़ लाए और उन से कहने लगे के ये जिस क़द्र बलवाई आप पर चढ़ आये हैं ये वही हैं जो हमारी तलवारों से मुस्लमान हुए हैं और अब भी डर के मरे कपडे ही में पाखाना किये देते हैं ये सब शेखियां और ऊँचीं ऊँचीं उड़ानें इस सबब से हैं के कलमा पढ़ते हैं और आप कलमे की हुरमत का पास व लिहाज़ करते हैं अगर आप हुक्म दें तो हम इनको इनकी हक़ीक़त मालूम करा दें और इनकी भूली हुई बात फिर इन को याद दिलादें |
हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया खुदा की क़सम ऐसी बात न कहो सिर्फ मेरी जान की खातिर इस्लाम में हरगिज़ फुट न पैदा करो फिर आप के सारे गुलाम जो एक फौज के बराबर थे असबाब व हथियार से तय्यार हो कर आपके सामने आये और बड़ी बेचैनी व बेक़रारी के साथ आप से कहने लगे के हम वही तो हैं जिन की तलवारों की ताब खुरासान से अफ्रीका तक कोई न ला सका अगर आप इजाज़त फरमाएं तो हम मगरूरों को इन के काम का तमाशा दिखा दें गुफ्तुगू और बात चीत से उन की दुरुस्तगी नहीं हो सकती | वो लोग जानते हैं के कलमे की हुरमत के सबब हमें कोई नहीं छेड़े गा इसी लिए वो राहे रास्त पर नहीं आते और आपकी दीगर सहाबाए किराम की बातों को ज़र्रा बराबर अहमियत नहीं देते लिहाज़ा हमे आप उन से लड़ने की इजाज़त दीजिए |
हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु ने गुलामो से फ़रमाया के अगर तुम लोग मेरी रज़ा व ख़ुशनूदी चाहते हो और मेरी नेमत का हक़ अदा करना चाहते हो तो हथियार खोल दो और अपनी अपनी जगह पर जाकर बैठो और सुन लो तुम लोगों मे से जो गुलाम भी हथियार खोल दे उसको मेने आज़ाद कर दिया |
अल्लाह की क़सम ख़ूंरेज़ी से पहले मेरा क़त्ल हो जाना मुझे ज़्यादा मेहबूब है इससे के में ख़ूंरेज़ी के बाद क़त्ल किया जाऊँ मतलब ये है के मेरी शहादत लिख दी गई है और अल्लाह के रसूल प्यारे मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस की बशारत मुझको देदी है | अगर तुम लोगों ने बलवाइयों से जंग भी की तो भी में ज़रूर क़त्ल कर दिया जाऊँगा लिहाज़ा उन से लड़ने में कोई फ़ायदा नहीं है | (तुहफाए इसना अशरीया)

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बलवाइयों का आपको शहीद कर देना :- मुहम्मद बिन अबू बक्र ने जब देखा के दरवाज़े पर जब ऐसा सख्त पहरा है के अंदर पहुंचना बहुत मुश्किल है तो उन्होंने हज़रते उस्माने गनी पर तीर चलाना शुरू किया जिस में से एक तीर हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहो अन्हु को लग गया और आप ज़ख़्मी हो गए एक तीर मरवान को भी लगा | मुहम्मद बिन तल्हा रदियल्लाहु अन्हु भी ज़ख़्मी हो गए और एक तीर से हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु के गुलाम क़म्बर रदियल्लाहु अन्हु भी ज़ख़्मी हो गए |
मुहम्मद बिन अबू बक्र ने जब इन लोगों को देखा तो उनको खौफ लाहक़ हुआ के बनी हाशिम अगर हज़रत हसन रदियल्लाहु अन्हु और दुसरे लोगों को ज़ख़्मी देख लेंगें तो वो बिगड़ जाएंगें इस तरह एक नई मुसीबत पैदा हो जाएगी लिहाज़ा उन्होंने दो आदमियों के हाथ पकड़ कर उन से कहा के अगर बानी हाशिम इस वक़्त आगए और उन्होंने हज़रत इमामे हसन को ज़ख़्मी हालत में देख लिया तो वो हम से उलझ पढ़ेगें और हमारा सारा मंसूबा खाक में मिल जाएगा लिहाज़ा हमारे साथ चलो हम पड़ोस के मकान में पहुंच कर हज़रत उस्मान के घर में कूद पड़ेंगें और उन्हें क़त्ल कर देंगें इस गुफ्तुगू के बाद मुहम्मद बिन अबू बक्र अपने दो साथियों के साथ एक अंसारी के माकन में घुस गए और वहां से छत फांद कर हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के मकान में पहुंच गए इन लोगों के पहुंच ने की दूसरे लोगों को खबर नहीं हुई इस लिए के जो लोग घर पर मौजूद थे वो छत पर थे नीचे अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के पास सिर्फ आपकी अहलिया मुहतरमा हज़रत नाइला रदियल्लाहु अन्हा बैठी हुई थीं सब से पहले मुहम्मद बिन अबू बकर ने हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के पास पहुंच कर उनकी दाढ़ी पकड़ ली तो अपने उन से फ़रमाया अगर तुम्हारे बाप अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु तुझे मेरे साथ ऐसी गुस्ताखी करते हुए देखते तो वो क्या कहते | इस बात को सुनकर मुहम्मद बिन अबू बक्र ने आपकी दाढ़ी छोड़ दी लेकिन इसी दरमियान में इन के दोनों साथी आगए जो अमीरुल मोमिनीन पर झपट पड़े और आप को निहायत बे दर्दी के साथ शहीद करदिया |
जब हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु पर हमला हुआ और दुश्मन आपको शहीद कर रहे थे उस वक़्त आपकी अहलिया हज़रत नाइला रदियल्लाहु अन्हा बहुत चीखी चिल्लाईं लेकिन बलवाइयों ने चूंकि बड़ा शोर गोगा कर रखा था इस लिए आपकी चीख पुकार को किसी ने नहीं सुना आपकी सहादत के बाद वो कोठे पर गईं और लोगों को बताया के अमीरुल मोमिनीन शहीद कर दिए गए लोगों ने नीचे उतर कर देखा तो हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का पूरा जिस्म खून आलूद था और आपकी रूह परवाज़ कर चुकी थी बाज़ रिवायतों में है के शहादत के वक़्त हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु क़ुरआने मजीद की तिलावत फ़रमा रहे थे जब तलवार लगी तो आयते करीमा (फसायकफीका हुमुल्लाहु) पर खून के चंद क़तरात पड़े और आपकी बीवी साहिबा हज़रते नाइला रदियल्लाहु अन्हा ने तलवार के वार को जब अपने हाथों से रोका तो इनकी उँगलियाँ कट गईं | (तारीखे मदीना दमिश्क़)

हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु की बरहमि :- जब हज़रत अली, हज़रत तल्हा, हज़रत ज़ुबैर, हज़रत साद और दीगर सहाबए किराम रिद्ववानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन को हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की शहादत की खबर मिली तो सब के होश उड़ गए आप के मकान पर तशरीफ़ लाए आपको शहीद देख कर सब ने “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैही राजिऊन” पढ़ा और हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को इस सूरते हाल से इतना गुस्सा पैदा हुआ के हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हो को एक तमांचा और हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के सीने पर एक घूँसा मारा और फ़रमाया जब के तुम दोनों दरवाज़ों पर मौजूद थे हज़रते उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु कैसे शहीद कर दिए गए फिर आप ने हज़रत तल्हा रदियल्लाहु अन्हु के साहबज़ादे अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु को भी सख्त सुस्त बुरा भला कहा |
जब हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को मालूम हुआ के क़ातिल दरवाज़े से नहीं दाखिल हुए थे बल्कि पड़ोस के मकान से कूद कर आये थे तो आपने हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की अहलिया मुहतरमा से मालूम किया के हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को किस ने शहीद किया | उन्होंने कहा के में उन लोगों को तो नहीं जानती जिन्होंने अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को शहीद किया अलबत्ता उनके साथ मुहम्मद बिन अबू बक्र थे जिन्होंने अमीरुल मोमिनीन की दाढ़ी भी पकड़ी थी |
हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने मुहम्मद बिन अबू बक़र रदियल्लाहु अन्हु को बुला कर क़त्ल के बारे में उन से मालूम किया तो उन्होंने कहा के हज़रत नाइला रदियल्लाहु अन्हा सच कहती हैं | बेशक में घर के अंदर ज़रूर दाखिल हुआ था और क़त्ल का इरादा भी क्या था उन्होंने मेरे बाप हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का तज़किराह किया तो में उनको छोड़ कर हट गया में अपने इस फ़ैल पर नादिम व शर्मिंदाह हूँ और अल्लाह तआला से तौबा व अस्तगफार करता हूँ खुदा की क़सम मेने उनको क़त्ल नहीं किया है | (तारीखे मदीना दमिश्क़)

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हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का क़ातिल कौन था? :- इबने असाकर रहमतुल्लाह अलैह ने किनाना वगैरह से रिवायत है के अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु को जिस ने शहीद किया वो मिस्र का रहने वाला था उसकी ऑंखें नीली थीं और उस का नाम “हिमार” था |
और बाज़ मुअर्रिख़ीन ने लिखा है के आप के कालित का नाम “असवद” था बहुत मुमकिन है के मुहम्मद बिन अबू बक्र के साथ दो बलवाई जो के आप के मकान में कूदे थे उस में से एक का नाम “हिमार” और दुसरे का नाम “असवद” रहा हो | “वल्लाहु तआला आलम”

आपकी शहादत की तारिख :- हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु पैंतीस (35) हिजरी ज़िल हिज्जा के महीने में अय्यामे तशरीक़ में शहीद हुए के आप रदियल्लाहु अन्हु की उमर बियासी (82) साल की थी आप के जनाज़े की नमाज़ हज़रते ज़ुबैर रदियल्लाहु अन्हु ने पढ़ाई और आप का मज़ार शरीफ जन्नतुल बाक़ी मदीना शरीफ के क़ब्रिस्तान में है | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो | (असादुल गाबा)

(अस्सावाइ कुल मुहर्रिका) (असादुल गाबा) (तारीख़ुल खुलफ़ा) (तुहफाए इसना अशरीया) (तारीखे मदीना दमिश्क़) (खुलफाए राशिदीन) (करामाते सहाबा बा हवाला हुज्जातुल्लाहुल आलमीन) (करामाते उस्माने गनी)

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